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कैंसर स्क्रीनिंग


कैंसर (Cancer) का पता पहले से कैसे लगाएं ?

बहुत सारे ऐसे कैंसर है जिनका पता, लक्ष्ण आने से पहले ही लगाया जा सकता है और समय पर इलाज़ किया जा सकता है। कैंसर का पता जल्दी लगाने के लिए कैंसर स्क्रीनिंग (Cancer Screenig) करनी चाहिए

कैंसर स्क्रीनिंग क्या है?

कैंसर स्क्रीनिंग एक तरीका है जिसमें डॉक्टर शरीर में कैंसर के कुछ रूपों की जांच करते हैं, जब आपको कैंसर का कोई लक्षण नहीं होता है। कैंसर स्क्रीनिंग का लक्ष्य उन कैंसर को ढूंढना है जिन्हें जितनी जल्दी हो सके पाया जा सके, इससे पहले कि उसके लक्षण किसी व्यक्ति में दिखाई दे ।

विभिन्न प्रकार के कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए विभिन्न परीक्षणों का उपयोग किया जा सकता है। किसी भी कैंसर की स्कींनिंग किस समय करवानी चाहिए ये इस बात पर निर्भर करती है की आपकी उम्र क्या है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग कैंसर किसी व्यक्ति के जीवन में अलग-अलग समय होते हैं ।

मुझे कैंसर स्क्रीनिंग क्यों करनी चाहिए?

शुरुवात में कैंसर थोड़ी जगह पर ही होता है या बहुत छोटा होता है और अक्सर इसका इलाज आसानी किया जा सकता है या बिलकुल ख़तम ही किया जा सकता है। कैंसर का इलाज जल्दी होने से कैंसर के मरीज की स्वस्थ रहने की संभावना बाद जाती है। कभी-कभी, स्क्रीनिंग से उन कोशिकाओं (Cells) ) का पता भी लगाया जा सख्त है जिनमे अभी कैंसर नहीं बना है पर कैंसर बनने की सम्भवना है। इसे प्री- कैंसर की स्टेज कहते हैं, और इसका इलाज़ करने से आप कैंसर होने से बच सकते हैं ।

क्या कैंसर की स्कीनिंग सभी के लिए एक जैसी होती ?

सभी लोगों की कैंसर स्क्रीनिंग एक जैसी नहीं होती है और ना ही एक उम्र में करवाई जाती है। उदाहरण के लिए, अगर परिवार में किसी को कैंसर है तो उस प्रकार के कैंसर के लिए स्क्रीनिंग, बिना कैंसर की पारिवारिक इतिहास की लोगों की तुलना में छोटी उम्र में स्क्रीनिंग शुरू कर सकते हैं। अलग-अलग समय पर स्क्रीनिंग परीक्षण दोहराए भी सकते हैं अगर जरुरत होती है ।

आप अपने डॉक्टर से मिल कर पूछ सकते है की:

  • मुझे किस कैंसर के लिए स्क्रीनिंग करवानी चाहिए?

  • मुझे किस प्रकार के स्क्रीनिंग टेस्ट करवाने चाहिए?

  • कैंसर स्क्रीनिंग मुझे किस उम्र में शुरू करवाना चाहिए?

  • मुझे कितनी बार स्क्रीनिंग करवानी चाहिए?

अगर स्क्रीनिंग टेस्ट नार्मल नहीं आते तो इसका मतलब है की मुझे कैंसर है?

अगर स्क्रीनिंग टेस्ट नार्मल नहीं आते तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको निश्चित रूप से कैंसर है। यदि आपके स्कीनिंग टेस्ट नार्मल नहीं है, तो आपके डॉक्टर अन्य परीक्षण करवाते है और जब तक आपके डॉक्टर न कहे तब तक कैंसर होने की चिंता न करें। बहुत बार स्कीनिंग टेस्ट फॉल्स पॉजिटिव भी होते हैं मतलब की टेस्ट की रिपोर्ट हमेश सही नहीं होती ।

किस कैंसर के लिए स्क्रीन पर जांच की जा सकती है?

कैंसर के कुछ प्रकार जिनके लिए स्क्रीनिंग परीक्षण उपलब्ध हैं:

  • स्तन कैंसर ( ब्रैस्ट कैंसर ) - स्तन कैंसर के लिए स्क्रीनिंग किये जाने वाले मुख्य परीक्षण को "मैमोग्राम" कहा जाता है। ज्यादातर डॉक्टरों का मानना है की महिलाएं को 40 या 50 साल की उम्र से इस जांच को करवाना शुरू करना चहिये। जिन महिलाओं के परिवार में किसी को स्तन कैंसर हुआ है, उन्हें और पहले से स्क्रीनिंग शुरू करवा देनी चाइये।

  • कोलन Colon) कैंसर - कोलन कैंसर के लिए कई स्क्रीनिंग परीक्षण हैं। आप किस तरह का परीक्षा करवाना चाहते है यह आप और आपके डॉक्टर पर निर्भर करता है। डॉक्टरों की सलाह के अनुसार लगभग ५० साल की उम्र में कोलन कैंसर स्क्रीनिंग शुरू होनी चाहिए। जिन लोगों के परिवार किसी को कोलन कैंसर हुआ है या कुछ ख़ास बीमारियां की स्थिति में, लोग छोटी उम्र में स्क्रीनिंग शुरू कर सकते हैं।

  • सर्विकल (Cervical) कैंसर - सर्विकल कैंसर के लिए स्क्रीन पर इस्तेमाल होने वाले मुख्य परीक्षण को "पैप स्मीयर" कहा जाता है। सर्विकल कैंसर स्क्रीनिंग अक्सर महिलओं 21 वर्ष के बाद शुरू की जाती है। और ३० साल की उम्र के बाद कुछ और टेस्ट भी करवाए जा सकते हैं। 65 वर्ष से अधिक उम्र की महिलओं को सर्विकल कैंसर स्क्रीनिंग जारी रखने की आवश्यकता नहीं होती हैं।

  • प्रोस्टेट (Prostate) कैंसर - ये कैंसर पुरुषों में होता है और प्रोस्टेट कैंसर के लिए स्क्रीन पर उपयोग किए जाने वाले मुख्य परीक्षण को "पीएसए परीक्षण" कहा जाता है। लगभग 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर स्क्रीनिंग के बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

  • फेफड़ों (Lung) का कैंसर - फेफड़ों के कैंसर स्क्र्रीनिंग के लिए उपयोग किया जाने वाला मुख्य टेस्ट "चेस्ट सीटी स्कैन" है। यदि आपको फेफड़ों के कैंसर होने के संभावना है उदाहरण के लिए, क्योंकि आप धूम्रपान करते हैं, तो अपने डॉक्टर से स्क्रीनिंग के बारे में पूछें। यदि आप वास्तव में फेफड़ों के कैंसर से मरने या मरने की संभावना को कम करना चाहते हैं, तो धूम्रपान ना करना ही सबसे अच्छा तरीका है।

  • ओवेरियन (Ovarian) कैंसर: ओवेरियन कैंसर के लिए स्क्रीन करने के लिए, डॉक्टर ब्लड टेस्ट या अल्ट्रासाउंड , या दोनों ही करवा सकते हैं। इन जांचों से से हमेशा ओवेरियन कैंसर का शुरुवात में पता नहीं चल पता है। लेकिन फिर भी इन जांचो को ऐसी महिलाएँ को करवाने के लिए कहा जाता है जिनके परिवार में किसीको ओवेरियन या स्तन कैंसर है। उनके लिए, स्क्रीनिंग 30 से 35 वर्ष की उम्र में शुरू हो सकती है।

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